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"आँख्यां सूं छळकै / संजय आचार्य वरुण" के अवतरणों में अंतर
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+ | हिवणै रौ दुख | ||
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22:51, 25 फ़रवरी 2015 के समय का अवतरण
हेत किणी रौ
बण के पाणी
आँख्यां सूं छळकै।
नैणां रा सुपना
मुरझावै
जागै रात्यां
नींद न आवै
याद किणी री
आँसूं बण के
आँख्यां सूं छळकै।
दुखतौ मन अर
थकती काया
बीत्या दिन क्यूं
फेर न आया
बात किणी री
बण के पाणी
आँख्यां सूं छाळकै।
सरणाटौ सब
ओर लखावै
मन ने कोई
चीज न भावै
दूर किणी सूं
हिवणै रौ दुख
आँख्यां सूं छळकै।