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"मिलाण / संजय आचार्य वरुण" के अवतरणों में अंतर
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+ | न जाणे क्यूं? | ||
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+ | धरती पर चालै | ||
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+ | घणौ लाम्बौ फासलौ है | ||
+ | थारै अर म्हारै बिचाळै | ||
+ | तू नीं छोड़ सकै | ||
+ | आपरी जमीन | ||
+ | ना उतर सकूं म्है | ||
+ | म्हारै आसमान सूं नीचै। | ||
+ | पण इण में | ||
+ | पछतावै री बात कोनी | ||
+ | आपां दोनूं जाणां | ||
+ | के जमीन आसमान | ||
+ | रौ मिलाण | ||
+ | कदे नीं होवै। | ||
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22:53, 25 फ़रवरी 2015 के समय का अवतरण
न जाणे क्यूं?
म्है बावळौ भूल नीं पायौ हूँ
थनै अबार तांई
थारी परछाई
म्हारी छाया वण’र
म्हारै लारै लारै बैवै।
थनै देखण सूं
म्हनै मिलै
एक सागती
दिन माथै दिन
धिकावण सारू।
तू नीं मानैला
म्हैं राजी कोनी
अपणें आप सूं
म्हैं खुद ने देवूं सजा
थारै सूं रूसणै री
तू नैणां में
गैराई ले’र
धरती पर चालै
म्है आंख्यां में
ऊँचाई लेर आभै में उडूं।
घणौ लाम्बौ फासलौ है
थारै अर म्हारै बिचाळै
तू नीं छोड़ सकै
आपरी जमीन
ना उतर सकूं म्है
म्हारै आसमान सूं नीचै।
पण इण में
पछतावै री बात कोनी
आपां दोनूं जाणां
के जमीन आसमान
रौ मिलाण
कदे नीं होवै।