भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सुभाव / संजय आचार्य वरुण

578 bytes added, 17:26, 25 फ़रवरी 2015
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजू सारसर ‘राज’संजय आचार्य वरुण
|अनुवादक=
|संग्रह=म्हारै पांती रा सुपना मुट्ठी भर उजियाळौ / राजू सारसर ‘राज’संजय आचार्य वरुण
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
‘जलम देय’र
बडौ कारणौ
अर फेर काट देवणौ
या किचरणौ
मिनख रौ
ओ ई सुभाव
उण ने बचावै
सै जीवां सूं अळगौ’
 
बाग री नान्ही दूब
रोवती, गरळांवती
इतरौ कैयौ ई’ज हौ के
अचाणचक
एक पग
उण रौ कचरौ काढ़
आगै बधग्यो
दूब बापड़ी
अबै नीं रैयी
रोवण जोगी भी।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits