भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ओ घर नीं चावै / वासु आचार्य" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वासु आचार्य |संग्रह=सूको ताळ / वास...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:43, 26 फ़रवरी 2015 के समय का अवतरण

इण सूं पैला
क नींव रै भाटा मांय
मचै खळबळी
आपरी अणदबती पीड़ सूं
अर उठै चीख्यां चीस्याड़ां

मौटे भाटा रै
उळझ्यौड़ै
मकड़ी रै जाळै ज्यूं
ताणै बाणै सूं

इण सूं पैला
कडुसका भरती
लाचार हुय‘र
तिड़कण लागै भीत्या
कांपण लागै आंगण

अर धूजण‘ई ज लागै
पूरो रो पूरो घर
फैर-लौईन्दै मांय
बां नै
संभळणौ
अर संभाळणौ‘ई पड़सी
ओ घर
बै जिका
उजाळै रा आगीवाण है
बै जिका
रोसनी रा पुंज
जाणै है खुदनै

ओ घर-ओ जुनौ घर
आपरै पुराणै बगत रो
सिरैमौर घर
अबै चावण लागग्यौ है
आपरो फूटरौ-फरौ चै‘रौ-मैरौ
अेक खरै संकल्प सागै

ओ घर नी चावै
पाछौ-फैरूं
अंधारै मांय डूबणौ