भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रीत नैना चोरा के राखल बा (ग़ज़ल) / अभिज्ञात" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अभिज्ञात |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:24, 11 मार्च 2015 के समय का अवतरण
सगरो ऐना चोरा के राखल बा।
सच के गहना चोरा के राखल बा।
ऊ कसम खाके झूठ बोलै ले
प्रीत नैना चोरा के राखल बा।
तबले धनवान बा सभे केहू
जबले सपना चोरा के राखल बा।
बंट गइल खेत, दुआरे बखरा
केकर अंगना चोरा के राखल बा।
बात तू मान ल दुलरला पर
वरना पैना चोरा के राखल बा।
बैरी दुनिया में फकत तोहरा बदे
दिल खेलौना चोरा के राखल बा।
केतनो पोस तू प्राण पाखी ह
ओकर डैना चोरा के राखल बा।
सब पिपिहरी प दीवाना 'अभिज्ञात'
अउर मैना चोरा के राखल बा।