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"माँ / दीनदयाल शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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सब पर छिड़के जान, | सब पर छिड़के जान, |
15:19, 18 मार्च 2015 के समय का अवतरण
माँ तू आँगन मैं किलकारी,
माँ ममता की तुम फुलवारी।
सब पर छिड़के जान,
माँ तू बहुत महान्।।
दुनिया का दर्शन करवाया,
कैसे बात करें बतलाया।
दिया गुरु का ज्ञान,
माँ तू बहुत महान्।।
मैं तेरी काया का टुकड़ा,
मुझको तेरा भाता मुखड़ा।
दिया है जीवनदान,
माँ तू बहुत महान्।।
कैसे तेरा कर्ज चुकाऊं,
मैं तो अपना फर्ज निभाऊं।
तुझ पर मैं कुर्बान,
माँ तू बहुत महान्।।