भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"धनि शिव मुरति तोरि / बघेली" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=बघेली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCatBag...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:52, 19 मार्च 2015 के समय का अवतरण
बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
धनि शिव बाबा मूरति तोरि
जटन से गंगा बही है
हां हां रे जटन से गंगा बही है
ऐ झालखण्ड मां झांझै बजत हैं
गया बजत घरियाल
ए बरहाँ बजा बजे अजुध्या जहां राम लिहिनि अउतार
जहाँ राम लिहिनि अउतार
जटन से गंगा बही है