भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दाबे दौरिया जातीं हो नदिया / बघेली" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=बघेली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCatBag...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:17, 19 मार्च 2015 के समय का अवतरण
बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
अरे हां इतैसे दधि लौ निकरी ग्वालिनिया
उइ आये उतै से भान-इतैसे दधि लै निकरी ग्वालिनिया
गोकुल मथुरा के बीच दही का
कीचा मचाय गा कान्हा
दाबे दौरिया जातीं हो नदिया
दाबे दौरिया जातीं लाल
ये यारन से बोलियाती
नदिया दाबे दौरिया जातीं लाल