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"पुरुष का हाथ / विचिस्लाव कुप्रियानफ़" के अवतरणों में अंतर

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पुरूष का हाथ

स्त्री और बच्चे की हथेलियाँ थाम

उठता है पक्ष में या विरोध में


और विरोध में ठहरकर

निर्माण करता है

क़िताबों के पन्ने पलटता है

सहारा देता है स्वप्नरहित सिर को

फिर ढूंढता है दूसरी हथेली

सम्बन्ध के लिए