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"सुरति रहे तो सुअना ले गा / बघेली" के अवतरणों में अंतर

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बघेली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सुरति रहे तो सुअना ले गा
बोल के अमृत बोल
नटई रहै तो कोइली लै गे
चढ़ि बोलइ लखराम

एतनी देर भय आये रैन न एकौ लाग
कोइली न लेय बसेरा न करन सुआ खहराय