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बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बइकल भये कन्हैया हर गे ज्ञान तुम्हार
पिता तुम्हरे कहिगे का लिहा उहिउ का दान
गोपिया हइलि परी जंगल मा हेरे न पावैं पात
कहना पाई पात पतेउवा काहेन चुकाई दान
कन्हई बांधिन चुरुवा लावा भउजी दान
मटकी पे मटकी उलदिन पे नहि चुरुवा अधियान
धौ तोरे पेटे मां कुंआ बावली धौ लगी समुन्द कै सोख
मटकी पे मटकी उलदेन नहि चुरूवा अधियान
ना मोरे पेटे कुंवा बावली ना समुन्द के सोख
कपटन दान चुकाइउ मोर चुरुवा नाहि अधियान