भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"साजा सिहाती मैं रहेउं मोरे लालन / बघेली" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=बघेली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCatBag...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:29, 20 मार्च 2015 के समय का अवतरण
बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
साजा सिहाती मैं रहेउं मोरे लालन
मोरे साजन सेन्दुर मैं मांग
साजन होते चन्दन के पांसा
मैं घोटि चढ़उतिउं माथ
चन्दन रंगड़इ ये हां सबै रे मुनि चन्दन रगड़ै
ये नदिया पैसुनी के तीर सबै रे मुनि चन्दन रगड़े
मथुरा सांकर तोरी खोर मैं केसे दधि बेचन जइहौं
एक तौ जमुन दह गहरी जमुन दह गहिरी
दूजै आवइ हिकोर
कैसे दधि बेचन जइहौं मथुरा तोरी ओर
एक तौ कुंजन बन घन हैं कुंजन बन घन हैं
दूजै बोलइ पन्छी मोर
मथुरा तोरी खोर मैं कैसे दधि बेचन जइहौं
एक तौ सकर हैं गलियां संकर हैं गलियां
दूजइ घेरै माखन चोर
मथुरा तोरी खोर कैसे मैं दधि बेचन जइहौं।