भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बौआ सोन दियारी / चन्द्रमणि" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्द्रमणि |संग्रह=रहिजो हमरे गाम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:49, 21 मार्च 2015 के समय का अवतरण

आंगन चनन कियारी तैमे बउआ सोन दियारी
हीरा-मोती सँ भरि गेलै जेना गरीबक बखारी
जनमल बउआ ऊसरमे उगलै अनार जहिना
चमनिया मुंह फोड़िकऽ बाजै लेबें कोन गहना।
जकरा घर संतानक धन नै तकरे घर अन्हार
एकरा बिनु राजा आ’ रंकक सून सकल संसार
आइ हमर भइया राजा छथि रानी बनली भउजी
कट्ठा-बिगहा के पूछैये लीखि देबौ हम तउजी
लंक उजारिणि भउजीक बहिन लगैब भरना.....
नौआनिया मुंह फोड़िकऽ बाजै....
भइया भउजीक बीचक बनलै बउआ रेषम डोरी
भइया हाथक फोलि घड़ी हम बान्हि लेबै बरजोरी
मांग-मांग, की लेबें धोबिनिया रेषम आ‘ कि पटोर
झुमक झुमक तों नांच नचनियां नांचि उठय मन मोर
हिलिमिलिके सब गीत गबै खेलैत ललना...
नचनियाँ मुंह फोड़ि कऽ...
ता-ता थइया खूब सिखेबै करबै खूब उगाही
पैघ हेतै तऽ बउआ बनतै दीदी के सिपाही
हमरा घरके चुन्ना-मुन्ना केओ सुरूज केओ चान
बउआके नानीके गलतीसँ सोरह सन्तान।
हमर बाउ बजतै माइक अमोल बयना....
पमरिया मुंह फोड़िकऽ....