भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लगनी / चन्द्रमणि" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्द्रमणि |संग्रह=रहिजो हमरे गाम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:13, 21 मार्च 2015 के समय का अवतरण

केहन कठोर भेलौं हमरा बिसरिये गेलौं
कि आहो रामा! हमर जनम अहिना जायत रे की।
दिन अनचिन्हारे भेलै रातियो पहाड़े भेलै
कि आहो रामा! हमराले दिनकर कहियोने जागत रे की।
माघ गेलै फागुन एलै आमो मजरिये गेलै
कि आहो रामा! कुहुकैत कोइली अहिना कानत रे की।
दुखमे जनम भेल नोरे भरण भेल
कि आहो रामा! कहियो ने नयना हमर सुखायत रे की।