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|रचनाकार=अभिज्ञात
}}
{{KKCatKavitaKKPustak|चित्र=Ek-adhan-hamare-andar.jpg|नाम=एक अदहन हमारे अन्दर |रचनाकार=[[अभिज्ञात]]|प्रकाशक=नाद प्रकाशन, 2 महात्मा गांधी रोड, टीटागढ़, कोलकाता - 700119|वर्ष=1990|भाषा=हिन्दी|विषय=कविताएँ|शैली=कविता|पृष्ठ=|ISBN=--|विविध=--}}<poem>* [[फूटती हैं कोपलें / अभिज्ञात]]हम * [[रेह में कल्ले / अभिज्ञात]]जो कि * [[कविताएँ दाँत नहीं हैं / अभिज्ञात]]* [[क्यों लगते हो अच्छे केदारनाथ सिंह? / अभिज्ञात]]* [[एक साथअदहन हमारे अन्दर (कविता) / अभिज्ञात]]पूँछ * [[सच के पास आदमी नहीं है / अभिज्ञात]]* [[विश्वस्त गवाही / अभिज्ञात]]* [[अपने भी विरुद्ध / अभिज्ञात]]* [[मैं ठूँठ नहीं होना चाहता / अभिज्ञात]]* [[शिलालेख और मूँछ आदमी / अभिज्ञात]]दोनों * [[खुली छत / अभिज्ञात]]* [[आदमी के मांस की चिंता में एक साथ व्यग्र हैंगंध / अभिज्ञात]]बचाते हैं अपना घर।* [[मल्लाहनामा / अभिज्ञात]]जिस पर हम* [[स्नानागार की सभ्यता / अभिज्ञात]]सारी उम्र* [[आसमान की पीठ / अभिज्ञात]]पतीले * [[तख़्तपरस्त की तरह चढ़ते हैं।दृष्टि में लोकतंत्र / अभिज्ञात]]* [[प्रार्थना करो / अभिज्ञात]]एक अदहन हमारे अन्दर * [[झाग बह नहीं पाती / अभिज्ञात]]खौलता रहता है निरंतर।* [[हाथों के लिए / अभिज्ञात]]* [[गांव की चिट्ठी / अभिज्ञात]]<* [[आदमी बचा रहना चाहे तो /poem>अभिज्ञात]]