भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खण्डः एक / स्त्री

107 bytes added, 09:23, 22 मार्च 2015
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अभिज्ञात
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
 
'''एक'''
जबसे तूने मुझे, मैंने तुझे, छोड़ा।
काश कि कोई घर में होता जिससे
मैं लजाकर कहती, प्लीज मुझे मत छूना।।
</poem>
83
edits