भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अतना गुमान काहे / सूर्यदेव पाठक 'पराग'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूर्यदेव पाठक 'पराग' |संग्रह= }} {{KKCatBho...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

11:46, 30 मार्च 2015 का अवतरण

अतना गुमान काहे
जिनगी झँवान काहे

अँखिया झरे अनेरे
ई अर्ध्यदान काहे

कइले मिरी हमेशा
अफरा में प्रान काहे

जब आचरण सही ना
पवलऽ तू ज्ञान काहे

नजरो से देखला पर
अउरी प्रमान काहे

लिखिहें ‘पराग’ मन से
पइहें ना मान काहे