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"ई बदरी छाई कबले / सूर्यदेव पाठक 'पराग'" के अवतरणों में अंतर
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13:34, 30 मार्च 2015 के समय का अवतरण
ई बदरी छाई कबले
सूरूज छिप पाई कबले
लाठी के बल पर केहू
अनकर हक खाई कबले
बनल रही एह धरती पर
पर्वत आ खाई कबले
अपने घर हिन्दी माई
बनल रही दाई कबले
खून सहोदर भाई के
पियत रही भाई कबले