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17:29, 30 मार्च 2015
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जैसे-जैसे दिन बीतेंगेभगवान करे, संभव हैअन्धों को आँखें मिल जाएँऔर कुबड़ों की कमर भी सीधी हो जाएभगवान करे, ईसा बनूँ मैं अकेला होता जाऊँगाथोड़ा-सापर सूली पर चढ़ना मुझे ज़रा न भाए
जैसे-जैसे वर्ष गुज़रेंगेभगवान करे, संभव हैसत्ता के चक्कर में नहीं पड़ूँऔर दिखावे के लिए हीरो भी मैं शेष नहीं हूँबनूँख़ूब धनवान बनूँ, समझ जाऊँगापर चोरी नहीं करूँक्या संभव है यह कि ख़ुद से भी नहीं डरूँ?
जैसे-जैसे बदलेगी शताब्दियाँभगवान करे, संभव हैबनूँ मैं ऐसी मीठी रोटीजिसे न खा पाए गुट कोई और न गोटीबनूँ न मैं लोगों की स्मृति से गु़म हो जाऊँगाबलि का बकरा कभी, न कसाईन मालिक बनूँ, न भिखारी कभी, मेरे सांई
पर भगवान करे, जीवन में जब भी बदलाव हो न ऐसा कि दिन बीतें जैसे-जैसेजब हो कोई लड़ाई, मेरे जीवन में शर्म बढ़े वैसे-वैसेन कोई घाव होभगवान करे, मेरा कई देशों से लगाव होअपना देश न छोडूँ, न ऐसा कोई दबाव हो
पर हो भगवान करे, प्यार करे मुझे मेरा देशठोकर मारकर फेंक न ऐसा कि वर्ष गु़ज़रें जैसे-जैसेदे मुझे कहीं विदेशताश का गु़लाम बन जाएँ हम वैसे-वैसेभगवान करे, पत्नी भी मेरी प्यार करे तबहो जाऊँ जब भिखारी और बदले मेरा वेष
पर भगवान करे, झूठों का मुँह बंद हो न ऐसा कि शताब्दियाँ बदलें जैसे-जाएबच्चे की चीखों में प्रभु का स्वर दे सुनाईचाहे रूप पुरुष का भर लें या स्त्राी काभगवान करे, मनुष्य में ईसा मुझे दें दिखाई सलीब नहीं उसका प्रतीक हम पहने हैं गले मेंऔर झुकते हैं ऐसे जैसेझुके कोई व्यक्ति ग़रीबहमारी कब्रों भगवान करे, हम नहीं नकारें सब कुछ कोविश्वास करें और ख़ुदा रहे हम सब के क़रीब भगवान करे, सब कुछ, सब कुछ, सब कुछसबको मिले धरती पर थूकें लोग वैसेताकि न कोई नाराज़ होभगवान करे, सब कुछ मिले हमें उतना-वैसेउतनाजितना पाकर सिर नहीं हमारा शर्मसार हो
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