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Kavita Kosh से
वृन्दावन में
'''माँमैया'''
लगे अधूरा
यह घर, संसार
'''आग'''
महिला हो मुखिया
कागज़ पर
'''नदिया'''
नदिया चली
तटों से गले मिल
पिया के घर
'''तारे'''
रास्ता दिखाते
जगमगाते तारे
रोड किनारे
'''उसूल'''
कैसा उसूल
पत्थरों के हवाले
मासूम फूल
</poem>
