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"प्रभो / जयशंकर प्रसाद" के अवतरणों में अंतर

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विमल इन्दु की विशाल किरणें
 
विमल इन्दु की विशाल किरणें
प्रकाश तेरा बता रही है
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प्रकाश तेरा बता रही हैं
 
अनादि तेरी अन्नत माया  
 
अनादि तेरी अन्नत माया  
 
जगत् को लीला दिखा रही हैं
 
जगत् को लीला दिखा रही हैं
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ये देखना हो तो देखे सागर
 
ये देखना हो तो देखे सागर
 
तेरी प्रशंसा का राग प्यारे
 
तेरी प्रशंसा का राग प्यारे
तनंगमालाएँ गा रही हैं
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तरंगमालाएँ गा रही हैं
  
 
तुम्हारा स्मित हो जिसे निरखना
 
तुम्हारा स्मित हो जिसे निरखना
 
वो देख सकता है चंद्रिका को
 
वो देख सकता है चंद्रिका को
तुम्हारे हसने की धुन में नदियाँ
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तुम्हारे हँसने की धुन में नदियाँ
 
निनाद करती ही जा रही हैं
 
निनाद करती ही जा रही हैं
 
विशाल मन्दिर की यामिनी में
 
विशाल मन्दिर की यामिनी में
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प्रकृति-पद्मिनी के अंशुमाली
 
प्रकृति-पद्मिनी के अंशुमाली
 
असीम उपवन के तुम हो माली
 
असीम उपवन के तुम हो माली
घरा बराबर जता रही है
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धरा बराबर जता रही है
तो तेरी होवे दया दयानिधि
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जो तेरी होवे दया दयानिधि
 
तो पूर्ण होता ही है मनोरथ
 
तो पूर्ण होता ही है मनोरथ
 
सभी ये कहते पुकार करके
 
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यही तो आशा दिला रही है
 
यही तो आशा दिला रही है
 
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12:20, 2 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण

विमल इन्दु की विशाल किरणें
प्रकाश तेरा बता रही हैं
अनादि तेरी अन्नत माया
जगत् को लीला दिखा रही हैं

प्रसार तेरी दया का कितना
ये देखना हो तो देखे सागर
तेरी प्रशंसा का राग प्यारे
तरंगमालाएँ गा रही हैं

तुम्हारा स्मित हो जिसे निरखना
वो देख सकता है चंद्रिका को
तुम्हारे हँसने की धुन में नदियाँ
निनाद करती ही जा रही हैं
विशाल मन्दिर की यामिनी में
जिसे देखना हो दीपमाला
तो तारका-गण की ज्योती उसका
पता अनूठा बता रही हैं

प्रभो ! प्रेममय प्रकाश तुम हो
प्रकृति-पद्मिनी के अंशुमाली
असीम उपवन के तुम हो माली
धरा बराबर जता रही है
जो तेरी होवे दया दयानिधि
तो पूर्ण होता ही है मनोरथ
सभी ये कहते पुकार करके
यही तो आशा दिला रही है