भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कृष्णअलका / प्रवीण काश्‍यप" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रवीण काश्‍यप |संग्रह=विषदंती व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:03, 4 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण

आइ फेर भेल भोर
पृथ्वीक अग्नि शांत भेल
घनीभूत मेघक संघनन सँ
आइ राति भेल वर्षा, परल बुन्न

भरि रातिक रतिक्रियाक उजगी सँ
मदमायल, अलसायल कोनो ललना
अंगेठी मोर लैत
कोनिया घरक पट फोलि
बाहर दैत अछि डेग
मुदा फेर ठोरक मधु मुस्की
आ सीत्कारमय मनक संग
सकचायल, हुलसि कऽ
घुरैत अछि अपन प्रियतमक भुजबंध में।

आइ मेघक श्यामलता सँ
संभोग करैत रस्मि-रानी
बड्ड अलसायल बड्ड लजायल सन
बिहुँसैत पहुँचलीह हमरा लग!
बड्ड दिनक बाद
आइ वाग्मती फेर भेलीह रजस्वला
सुखाइत नदी
कामासक्त यौवना जकाँ
आइ फेर भेलीह वेगवती।
आइ फेर भेल भोर
आइ भेलीह रसवंती वाग्मती।