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"चमेली / श्रीनाथ सिंह" के अवतरणों में अंतर

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16:08, 5 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण

धूल उड़ी या बरसा पानी,
मूर्ख बढ़े या उपजे ज्ञानी।
सबको हँसती मिली चमेली,
फिर उजड़ी फिर खिली चमेली।
राजाओं में ठनी लड़ाई,
जीत हुई या आफत आई।
महल ढहे या उठी हवेली,
फिर उजड़ी फिर खिली चमेली।
भय चिन्ता को पास न लाओ,
आगे बढ़े बराबर जाओ।
भूलो मत यह सखा सहेली,
फिर उजड़ी फिर खिली चमेली।