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"हथेलियों की छाप / किरण मिश्रा" के अवतरणों में अंतर
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उस डायरी से गिर गया | उस डायरी से गिर गया |
14:08, 9 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण
तुमने जो फूल मेरे बालों में टाँका था
वो कल रात न जाने कैसे
उस डायरी से गिर गया
जिसपे तुमने,
मेरी तुम्हारी हथेलियों की छाप ली थी
मेरी हथेली की छाप तो तुम ले गए
लेकिन अपनी महक उस हरसिंगार पर छोड़ गए
जहाँ मैंने बदली से निकलते चाँद देख कर,
तुम्हारे पहलू में अपना चेहरा छिपा लिया था
और तुमने हौले से मेरा माथा चूम लिया था
उस एहसास को मैं अपने साथ ले आई
लेकिन दिल उसी हरसिंगार पर छोड़ आई
जो आज भी वहीं टंगा है ।