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"सृजन के जीन / किरण मिश्रा" के अवतरणों में अंतर
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आधे मशीन बने असन्तुष्ट अवसाद में घिरे | आधे मशीन बने असन्तुष्ट अवसाद में घिरे | ||
खोज रहे होंगे सन्तुष्टि और सृजन के जीन को | खोज रहे होंगे सन्तुष्टि और सृजन के जीन को | ||
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12:38, 13 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण
प्रेम की भाषा, अपनत्व के छन्द
सुकून के पल,
मैंने जमा कर के रख लिए है
ये सोच कर
तकनीकी के बाज़ार में इनकी जरूरत किसे
आने वाला कल एण्टी-एजिंग साइंस का है
ये मैं रख जाऊँगी उन पीढ़ियों के लिए जो
आधे मशीन बने असन्तुष्ट अवसाद में घिरे
खोज रहे होंगे सन्तुष्टि और सृजन के जीन को