भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ग़ज़ल / नरेश कुमार विकल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नरेश कुमार विकल |संग्रह=अरिपन / नर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:43, 22 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण

संग रहिकऽ ने अहाँ बजै छी किऐ ?
प्राण वीणा कें तार तोड़ै छी किऐ ?

चान कें हाथ सँ झाँपि सकतै कोना ?
कोनो देखय ने ककरो ई हेतै कोना ?

फूल सन रूप मानी जँ अहाँ अपन-
तऽ कली सन ने सदिखन हँसै छी किऐ ?

मोन रांगल अहाँ जे अपन प्रीत सँ।
छूटि सकतै कोना ई विरह-गीत सँ ?
सांझ एखनो ढरल छै हमर मोन कें
बनिकऽ बाती ने अहाँ जरै छी किऐ ?

पयर जखने रूकल आस आगू बढ़ल
आँखि कें कोर सँ नोर किऐ बहल
लाल मंहफा में पीयर ओहार लगल
हम मनाबी ने अहाँ रूसै छी किऐ ?