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 रचनाकार:  | 
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम
सीता राम सीता राम
भज प्यारे तू सीता राम
रघुपति ...
ईश्वर अल्लाह तेरे नाम
सबको सन्मति दे भगवान
रघुपति ...
रात को निंदिया दिन तो काम
कभी भजोगे प्रभु का नाम
करते रहिये अपने काम
लेते रहिये हरि का नाम
रघुपति ...
	
	