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"नक्सौ / मोहन आलोक" के अवतरणों में अंतर

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22:37, 24 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण

इण पृथ्वी रौ
अेक नक्सौ हौ भगवान कनै
बीरै मांय
कई दरखत हा म्हारै मकान कनै

कई बरस हुया
लोगां बां दरखातां नै
काट लिया
अनै काट-पीट’र
आपस मांय बांट लिया।

बस बां दरखतां रौ कटणौ
हुयौ कै भगवान रै लेखै इण ग्रह रो
घटणौ।
अबै सरू है सोधभाळ
का’ल
भगवान रा कई कर्मचारी आया म्हारै कनै
म्हूं बुझ्या किया?
दरसण दिया ??
बियां तौ वै चुप रैया
भासा रै अभाव मांय,
पण म्हनै लाग्यौ
कै बै बापड़ा पृथ्वी नै ढूंढता फिरै हा
पृथ्वी रौ बो नक्सौ
हाथ मांय लियां।