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"छैकड़लै दिन आ दुनिया / मालचंद तिवाड़ी" के अवतरणों में अंतर
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कविता हुवैला-
छे’लो रूंख।
प्रीत रा मरूथळां
निपजैला कोरी प्रीत।
चिड़कल्यां लेवैला फेरूं बासो
रूंख री रेसमी छियां।
पेलै दिन रै ढाळै
छैकड़लै दिन आ दुनिया-
पाछी थारी-म्हारी हुवैला