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"धंवर पछै सूरज (कविता) / निशान्त" के अवतरणों में अंतर
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जी दोरौ हुयो घणो | जी दोरौ हुयो घणो | ||
पण | पण | ||
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कै तरसणो नीं पड़ियो | कै तरसणो नीं पड़ियो | ||
तावड़ै बैठण सारू । | तावड़ै बैठण सारू । |
22:35, 30 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण
आखै सियाळै
धंवर ई धंवर
जी दोरौ हुयो घणो
पण
इत्तो संतोष ई हुयो
कै तरसणो नीं पड़ियो
तावड़ै बैठण सारू ।
दस दिन री
धंवर पछै
आज थे निकळिया
तो लाग्यो-
बसंत
आयग्यो है ।