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"सुपौल से छीन लिए गये / कुमार सौरभ" के अवतरणों में अंतर
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− | छोटी लाइन की सुस्त रेलगाड़ी से | + | छोटी लाइन की सुस्त रेलगाड़ी से |
− | सुबह ही जो सुदूर सुपौल से | + | सुबह ही जो सुदूर सुपौल से |
− | सहरसा जंक्शन पहुँचे हैं | + | सहरसा जंक्शन पहुँचे हैं |
उन्हें मालूम हो कि | उन्हें मालूम हो कि | ||
− | उनकी रेलगाड़ी | + | उनकी रेलगाड़ी |
+ | अगली सुबह आठ-साढ़े आठ से पहले | ||
नहीं खुलनेवाली ! | नहीं खुलनेवाली ! | ||
− | अपनी तरफ से एक पैसा ढिलाई नहीं | + | अपनी तरफ से एक पैसा ढिलाई नहीं |
कि पूरा दिन पूरी रात काट लेंगे जंक्शन पर !! | कि पूरा दिन पूरी रात काट लेंगे जंक्शन पर !! | ||
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ऐसे दिन-रात का साक्षी बनता है | ऐसे दिन-रात का साक्षी बनता है | ||
सहरसा जंक्शन | सहरसा जंक्शन | ||
− | इसे मालूम है | + | इसे मालूम है |
− | जिनके हिस्से से | + | कि ऐसे ही न जाने कितने सुपौल हैं |
− | पटरी पर रह पाता है पंजाब ! | + | जिनके हिस्से से |
+ | ऐसे कई दिन-रात छीन कर ही | ||
+ | पटरी पर रह पाता है पंजाब ! | ||
+ | मुम्बई कर पाता है मस्ती ! | ||
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सहरसा तो महज पूर्वाभ्यास है !! | सहरसा तो महज पूर्वाभ्यास है !! | ||
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13:20, 3 मई 2015 का अवतरण
छोटी लाइन की सुस्त रेलगाड़ी से
सुबह ही जो सुदूर सुपौल से
सहरसा जंक्शन पहुँचे हैं
उन्हें मालूम हो कि
उनकी रेलगाड़ी
अगली सुबह आठ-साढ़े आठ से पहले
नहीं खुलनेवाली !
अपनी तरफ से एक पैसा ढिलाई नहीं
कि पूरा दिन पूरी रात काट लेंगे जंक्शन पर !!
अक्सर ही, सुपौल के हिस्से से चुरा लिए गए
ऐसे दिन-रात का साक्षी बनता है
सहरसा जंक्शन
इसे मालूम है
कि ऐसे ही न जाने कितने सुपौल हैं
जिनके हिस्से से
ऐसे कई दिन-रात छीन कर ही
पटरी पर रह पाता है पंजाब !
मुम्बई कर पाता है मस्ती !
और दौड़ती रह पाती है दिल्ली !
सहरसा तो महज पूर्वाभ्यास है !!
शब्दार्थ
<references/>