भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पीसो अर म्हैं / निशान्त" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |संग्रह=धंवर पछै सूरज / नि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:52, 4 मई 2015 के समय का अवतरण

मांगणै पर/कीं री
पीसै स्यूं इमदाद करणी
म्हारै सारू कोई बड़ी बात नीं ही

अेक दो बर तो माया
खुलै हाथ ई लुटाई
पण अब म्हैं
बणग्यो हूँ
पीसै रो पूत

कित्तो गिरा दियो म्हनै
म्हारी जरूरतां