भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पाळै सागै लड़ाई / निशान्त" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |संग्रह=धंवर पछै सूरज / नि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:58, 4 मई 2015 के समय का अवतरण

गांव रै जो’डै़ री
पाळ माथै
उतर्योड़ा
खानाबिदोसां
रात री तीन बज्यां
जद खळबळी मचाई
आग जगाई
तो म्हैं सोच्यो-
अै करैगा अब लदाई

पसा दिनुगै सोझळै में
म्हैं देख्यो-
बै तो सुत्या है
बियां ही जड़्या-जापड़्या

रात बीं टेम
स्यात बै
करै हा पाळै सागै
लड़ाई।