भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तूं चाल / निशान्त" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |संग्रह=धंवर पछै सूरज / नि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
15:59, 4 मई 2015 के समय का अवतरण
लारै बंधेल
डगरै ज्यूं
क्यूं चालै ?
तूं चाल
बीं ऊँट ज्यूं
जको चालै
बिना टिचकारी
मारग देख लेणै रै पछै
भाऊं
कित्ती ही आवै
अबखाई।