भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चिंतावां / निशान्त" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |अनुवादक= |संग्रह=आसोज मा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:44, 9 मई 2015 के समय का अवतरण

आखै दिन
कीड़ियां दांई
चिमड़ती रैवै
चिंतावां
झड़कायां ई नीं झड़कै
अलबत
नींद रै मिस
का कीं काम रै मिस
बिसरै थोड़ी भौत ।