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"ओ एक ही कली की / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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हमारे खिलते-न-खिलते सुगन्ध तो
 
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हमारे बीच में से होती
 
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उड़ जायेगी !
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उड़ जायेगी!

09:43, 17 मार्च 2008 का अवतरण

ओ एक ही कली की

मेरे साथ प्रारब्ध-सी लिपटी हुई

दूसरी, चम्पई पंखुड़ी!

हमारे खिलते-न-खिलते सुगन्ध तो

हमारे बीच में से होती

उड़ जायेगी!