भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"शीत चंदन सुरभिमय जलसिक्त... / कालिदास" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=कालिदास |संग्रह=ऋतु संहार / कालिदास }} Category:संस्कृत श...) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKAnooditRachna | {{KKAnooditRachna | ||
|रचनाकार=कालिदास | |रचनाकार=कालिदास | ||
− | |संग्रह= | + | |संग्रह=ऋतुसंहार / कालिदास |
}} | }} | ||
[[Category:संस्कृत]] | [[Category:संस्कृत]] |
18:59, 29 जनवरी 2008 के समय का अवतरण
|
शीत चन्दन सुरभिमय जल सिक्त व्यंजनों का अनिल रे,
कुसुममाला से सुसज्जित पयोधर माँसल सुघर रे
वल्लकी के काकली कल गीत स्वर कोमल लहराते
सुप्त सोये काम को है फिर जगा देते पुलकते,
हेम झीनी किरण बिछ झिलमिल रिझाती रूप छाया
प्रिये ! आया ग्रीष्म खरतर !