भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कुछ तो है / ओरहान वेली" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओरहान वेली |अनुवादक=सिद्धेश्वर स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:20, 30 जून 2015 के समय का अवतरण

क्या रोज़ाना की तरह
सुन्दर है यह समुद्र?

क्या हर समय
ऐसा ही दिखाई देता है
आकाश?

यह फर्नीचर,
ये खिड़कियाँ
क्या ये रहे हैं सर्वदा
ऐसे ही सुरूप?

नहीं,
ईश्वर की शपथ
नहीं
कुछ तो है
जो हो रहा है
कुछ अजीब।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह