भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKRachna
|रचनाकार=मन्नन द्विवेदी गजपुरी
|संग्रह=बाल विनोद / मन्नन द्विवेदी गजपुरी
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>
विनती सुन लो हे भगवान,
:::हम सब बालक हैं नादान।।१।।नादान।विद्या -बुद्धि नहीं है कुछ पास,:::हमें बना लो अपना दास।।२।।पैदा तुमने किया सभी को ,:::रुपया पैसा दिया सभी को।।३।।हाथ जोड़कर खड़े हुए हैं,:::पैरो पर हम पड़े हुए हैं।।४।।दास।
बुरे काम से हमें बचाना,
:::खूब पढ़ाना , खूब लिखाना।।५।।बड़ा बड़ा पद पावैगे हम ,:::मिहनत कर दिखलावैगे हम।।६।।कितना भी बढ़ जावैगे हम,:::तुमे नहीं बिसरावैगे हम।।७।।लिखाना।
हमें सहारा देते रहना,
:::खबर हमारी लेते रहना ।।८।।रहना।लो फिर शीस तुमको शीश नवाते हैं हम,:::विद्या पढ़ने जाते हैं हम।।९।।हम।
</poem>