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"उड़ गए बालो-पर उड़ानों में / देवी नांगरानी" के अवतरणों में अंतर
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− | जल उठेंगे चराग़ पल भर में | + | जल उठेंगे चराग़ पल भर में<br> |
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− | धर्म के नाम पर हुआ पाखंड | + | धर्म के नाम पर हुआ पाखंड<br> |
− | + | लोग जीते हैं किन गुमानों में| | |
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− | कट गए बालो-पर, मगर हमने | + | कट गए बालो-पर, मगर हमने<br> |
− | + | नक्श छोड़े हैं आसमानों में| | |
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− | वलवले सो गए जवानी के | + | वलवले सो गए जवानी के<br> |
− | + | जोश बाक़ी नहीं जवानों में| | |
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− | बढ़ गए स्वार्थ इस क़दर ‘देवी’ | + | बढ़ गए स्वार्थ इस क़दर ‘देवी’<br> |
− | + | एक घर बंट गया घरानों में| | |
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00:15, 26 जून 2008 का अवतरण
उड़ गए बालो-पर उड़ानों में
सर पटकते हैं आशियानों में|
जल उठेंगे चराग़ पल भर में
शिद्दतें चाहिये तरानों में|
नज़रे बाज़ार हो गए रिश्ते
घर बदलने लगे दुकानों में|
धर्म के नाम पर हुआ पाखंड
लोग जीते हैं किन गुमानों में|
कट गए बालो-पर, मगर हमने
नक्श छोड़े हैं आसमानों में|
वलवले सो गए जवानी के
जोश बाक़ी नहीं जवानों में|
बढ़ गए स्वार्थ इस क़दर ‘देवी’
एक घर बंट गया घरानों में|