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"कार्तिक का पहला गुलाब. / इला कुमार" के अवतरणों में अंतर

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वह गंध  
 
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दृष्टी दूर तक स्वयं के संग जाना चाहती है  
 
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कार के शीशे चढ़ाती गिराती भंगिमाओं के बीच  
  
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मालिकाना भाव से पोषित तत्व को सम्पूर्णता में परख लेना चाहती है  
  
  

09:37, 29 जनवरी 2008 का अवतरण


कार्तिक का पहला गुलाब

सुर्ख पंखिरयाँ सुबह की धूप में

तमाम पृथ्वी को अपनी चमक से आंदोलित करती हुई

तहों की बंद परत के बीच से सुगंध भाप की तरह ऊपर उठती है


वह मात्र सुगंध है गुलाब नहीं

वह रंग

वह गंध

वह पंखिरयों के वर्तुल रूपक में लिपटा

कोमलता, सुकुवांर्ता, सौंदर्य प्रतीक


दृष्टी दूर तक स्वयं के संग जाना चाहती है

कार के शीशे चढ़ाती गिराती भंगिमाओं के बीच

मालिकाना भाव से पोषित तत्व को सम्पूर्णता में परख लेना चाहती है


मान्यताओं की स्थापना के बीच

वक्त बीतता हुआ

अचानक दम लेने को ठमक जाता है