भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ऎसा आदमी था मैं / असद ज़ैदी

No change in size, 12:53, 30 अगस्त 2015
{{KKCatKavita}}
<poem>
ऎसा ऐसा आदमी था मैं कि हॊंठ होंठ नहीं थे
बोल नहीं सकता था जो सोचता था
कि अन्दर ही अन्दर ख़ुश रहता था
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,318
edits