भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=फ़ैज़ अहमद फ़ैज़}} ख़ुदा वो वक़्त न लाये कि सोग़वार हो तू<br>
सुकूँ की नींद तुझे भी हराम हो जाये<br>
तेरी मसर्रत-ए-पैहम तमाम हो जाये<br>
तेरी हयात तुझे तल्ख़ जाम हो जाये<br><br>
 
ग़मों से आईना-ए-दिल गुदाज़ हो तेरा<br>
हुजूम्-ए-यास से बेताब होके रह जाये<br>
वफ़ूर-ए-दर्द से सीमाब हो के रह जाये<br>
तेरा शबाब फ़क़त ख़्वाब हो के रह जाये<br><br>
 
ग़ुरूर-ए-हुस्न सरापा नियाज़ हो तेरा<br>
तवील रातों में तू भी क़रार को तरसे<br>
तेरी निगाह् किसी ग़मगुसार को तरसे<br>
ख़िज़ाँरसीदा तमन्ना बहार को तरसे<br><br>
 
कोई जबीं न तेरे संग-ए-आस्ताँ पे झुके<br>
कि जिंस-ए-इज्ज़-ओ-अक़ीदत से तुझ को शाद करे<br>
फ़रेब-ए-वादा-ए-फ़र्द पे अएतमाद् करे<br>
ख़ुदा वो वक़्त न लाये कि तुझ को याद आये<br><br>
वो दिल कि तेरे लिये बे-क़रार अब भी है<br>
वो आँख जिस को तेरा इन्तज़ार अब भी है
Anonymous user