भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"खटर-पटर मत कर / अनंतप्रसाद ‘रामभरोसे’" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKRachna |रचनाकार=अनंतप्रसाद ‘रामभरोसे’ |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=अनंतप्रसाद ‘रामभरोसे’
 
|रचनाकार=अनंतप्रसाद ‘रामभरोसे’
पंक्ति 4: पंक्ति 5:
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatBaalKavita}}
 
<poem>खटर-पटर मत कर दी चुहिया,
 
<poem>खटर-पटर मत कर दी चुहिया,
 
खटर-पटर मत कर!
 
खटर-पटर मत कर!

22:04, 27 सितम्बर 2015 का अवतरण

खटर-पटर मत कर दी चुहिया,
खटर-पटर मत कर!
तेरी खटर-पटर से मम्मी
हो जाती है तंग,
फिर भी बाज न आती हो तुम
करने से हुड़दंग।
क्यों शैतानी दिखलाती हो,
तुम मेरे ही घर!
कुटुर-कुटुर खा जाती हो सब
गेहूँ, चावल, दाल,
और कुतर कर कपड़े सारे
करती हो बेहाल।
बिल्ली मौसी का भी तुमको
जरा नहीं है डर!
इतनी उछल-कूद भी अच्छी
बात नहीं होती,
तेरी जैसी चूहिया एक दिन
पछताती, रोती।
सोच-समझकर अब तू भी तो
सही काम कुछ कर!