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"खटर-पटर मत कर / अनंतप्रसाद ‘रामभरोसे’" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=अनंतप्रसाद ‘रामभरोसे’
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}}
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<poem>खटर-पटर मत कर दी चुहिया,
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खटर-पटर मत कर!
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तेरी खटर-पटर से मम्मी
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हो जाती है तंग,
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फिर भी बाज न आती हो तुम
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करने से हुड़दंग।
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क्यों शैतानी दिखलाती हो,
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तुम मेरे ही घर!
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कुटुर-कुटुर खा जाती हो सब
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गेहूँ, चावल, दाल,
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और कुतर कर कपड़े सारे
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करती हो बेहाल।
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बिल्ली मौसी का भी तुमको
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जरा नहीं है डर!
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इतनी उछल-कूद भी अच्छी
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बात नहीं होती,
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तेरी जैसी चूहिया एक दिन
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पछताती, रोती।
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सोच-समझकर अब तू भी तो
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सही काम कुछ कर!
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</poem>
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22:23, 27 सितम्बर 2015 के समय का अवतरण

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