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"रेडियो / विश्वदेव शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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07:07, 28 सितम्बर 2015 के समय का अवतरण

जादू के डिब्बे-सा हमको लगा रेडियो भाई,
बटन दबाते ही जिसमें से गाने की धुन आई!

इसमें परियाँ कैद पड़ी हैं,
गुन-गुन, गुन-गुन गाती हैं!
बाजीगर भी बंद पड़े-
जिनकी आवाजे़ं आती हैं!

खबर सुनाता एक, दूसरे ने है बीन बजाई!
जादू के डिब्बे-सा हमको लगा रेडियो भाई!