भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रंग जमाया / अरविंद कुमार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरविंद कुमार |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

00:09, 30 सितम्बर 2015 के समय का अवतरण

हुआ मिठाई का सम्मेलन,
संचालक था काला जामुन।
सजी-धजी थी खूब इमरती,
हँस-हँस सबसे बातें करती।
मचा रहा था हल्ला-गुल्ला,
लुढ़क-लुढ़क करके रसगुल्ला!

बर्फी आई थी इतराती,
साथ जलेबी रस टपकाती।
बालूशाही सोच रही थी,
बैठी खुद को कोस रही थी।
‘होगी कोई जुगत भिड़ानी,
बनूँ मिठाई की मैं रानी।’

किन्तु वाह गाजर का हलवा,
हलवे का था ऐसा जलवा।
उसने अपना रंग जमाया,
सबसे पहला नंबर पाया!

-साभार: नंदन, दिसंबर, 1990, 30