भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गाती हूँ मैं...(हज़ल) / भारतेंदु हरिश्चन्द्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भारतेंदु हरिश्चंद्र }} '''हज़ल (हास्य ग़ज़ल) गाती हूँ मै...) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
(कोई अंतर नहीं)
|
06:48, 30 जनवरी 2008 का अवतरण
हज़ल (हास्य ग़ज़ल)
गाती हूँ मैं औ नाच सदा काम है मेरा
ए लोगो शुतुरमुर्ग परी नाम है मेरा
फन्दे से मेरे कोई निकलने नहीं पाता
इस गुलशने आलम में बिछा दाम है मेरा
दो-चार टके ही पै कभी रात गंवा दूं
कारुं का खजाना तभी इनआम है मेरा
पहले जो मिले कोई तो जी उसका लुभाना
बस कार यही तो सहरो शाम है मेरा
शुरफा व रूज़ला एक हैं दरबार में मेरे
कुछ खास नहीं फ़ैज तो इक आम है मेरा
बन जाएँ चुगद तब तो उन्हें मूड़ ही लेना
खाली हों तो कर देना धता काम है मेरा
ज़र मज़हबो मिल्लत मेरा बन्दी हूँ मैं ज़र की
ज़र ही मेरा अल्लाह है ज़र राम है मेरा