भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दो चिड़ियों की बात / निरंकार देव सेवक" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निरंकार देव सेवक |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:20, 3 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण
एक बार दो चिड़ियाँ आकर
बैठ गईं छत की मुँडेर पर!
उनके पर थे नीले-पीले
हरे बैंजनी रंग-रँगीले!
कहा एक ने पूँछ हिलाकर
कितना अच्छा यह छोटा घर!
बच्चा एक बहुत ही सुंदर
रहता है इस घर के अंदर!
मुझे बड़ा प्यारा लगता है
नाम न जाने उसका क्या है!
मैं तो उससे ब्याह करूँगी
उसको टॉफी-बिस्कुट दूँगी!
कहा दूसरी ने मुसका कर
‘यह घर अच्छा तो लगता है, पर
चिड़ियाँ कहीं ब्याह करती हैं,
वह तो बच्चों से डरती हैं।
तू यदि उससे ब्याह करेगी,
पिंजड़े में बेमौत मरेगी।’