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"मेरे खिलौने / भारत भूषण अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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08:56, 3 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

कितने सुंदर और सलौने,
देखो मेरे नए खिलौने।

यह देखो फर्तीला घोड़ा,
नहीं चाहिए इसको कोड़ा।

चाबी से चलता है सरपट,
और लौटकर आता झटपट।

यह देखो यह बिल्ली आई,
आ पंजों में गेंद दबाई।

जब भी इसकी पूँछ घुमाऊँ,
यह कहती है ‘म्याऊँ-म्याऊँ’।

कंधे पर बंदूक उठाए,
यह लो वीर सिपाही आए।

ताकत वाले, हिम्मत वाले,
ये हैं इन सबके रखवाले!